Glycolysis (EMP Pathway)

Glycolysis -

इसको ई. एम. पी. पथ (E.M.P. pathway) भी कहते हैं क्योंकि इसकी खोज तीन जर्मन वैज्ञानिकों एंबेडेन, मेयर हाफ, पारनास (Embden, Mayyerhof and Parnas) ने की थी। इसे सामान्य श्वसन पथ (Common respiratory Pathway) अथवा कोशिकीय श्वसन (Cytoplasmic respiration) भी कहते हैं। इस पथ की सभी अभिक्रियाएं कोशिकाद्रव्य में संपन्न होती है तथा इनमें आक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है। अतः यह आक्सी (वायवीय) एवं अनाक्सी (अवायवीय), दोनो प्रकार के श्वसन के लिए सामान्य चरण (Common step) है। ग्लैकोलिसिस की प्रक्रिया में 6C वाले ग्लूकोज के एक अणु से 3C वाले पायरुविक अम्ल के दो अणु बनते है। ग्लाइकोलोसिस में निम्न लिखित तीन चरण होते हैं-


१) फासफोरिलीकरण (Phosphorylation) - इस क्रिया में ग्लूकोज अणु का phosphorylation होता है, जिसके फलस्वरूप फ्रुक्टोज 1, 6 - diphosphate का निर्माण होता है। यह क्रिया दो बार में होती है तथा ATP ke दो अणुओ का उपयोग होता है

1) प्रथम फॉस्फोरिलीकरण (First phosphorylation) - इस क्रिया में ग्लूकोज के अणु से ATP द्वारा ग्लूकोज 6 फास्फेट बनता है। यह क्रिया हेक्सोकईनेज एंजाइम द्वारा उत्प्रेरित होती है तथा Mg++ एक सहकारक (Cofactor) का कार्य करता है।


                     Glucose+ATP ___Hexokinase____➡️ Glucose 6-phosphate+ADP

                     1 (mol)                    Mg++                            1(mol)


2) समावयवीयकरण (Isomerisation) - ग्लूकोज 6 फास्फेट फास्फोग्लूको आइसोमरेज अथवा फास्फो हेक्सो आइसो मरेज एंजाइम की उपस्थिति में अपने समावयवी फ्रुक्टोज 6 फास्फेट मे परिवर्तित हो जाता है।

 

            Glucose 6-phosphate + ATP __Phosphohexo isomerase➡️ Fructose 6-phosphate

                        1(mol)                                                                                             1(mol)

3) द्वितीय फॉस्फोरिलीकरण (Second phosphorylation) - इस प्रकार बने फ्रुक्टोज 6-फास्फेट का एटीपी द्वारा फॉस्फोरिलीकरण होता है जिसके फलस्वरूप फ्रुक्टोज 1,6-diphosphate बनता है। यह क्रिया फास्फोफ्रक्टोकाइनेस एंजाइम द्वारा उत्प्रेरित होती है तथा Mg++ एक सहकारक का कार्य करता है।


Fructose 6-phasphate + ATP __Phosphofructokinase_➡️     Fructose 1,6-diphosphate + ADP

              1(mol)                                                                                             1(mol)


इस प्रकार फॉस्फो रिलीकरण क्रिया में ग्लूकोज के अणु से फ्रुक्टोज 1,6 डिफोस्फेट के एक अणु के निर्माण में 2 ATP अणुओ का उपयोग होता है।

२) हेक्सोस शर्करा का विदलन (Splitting of hexose sugar) - इस क्रिया में 6C वाली शर्करा ( फ्रुक्टोज 1,6 डाईफास्फेट) से दो 3C वाली शर्कराओं (3-Phosphoglyceraldehyde तथा Dihydroxy acetone phosphate) ka निर्माण होता है।

4) Formation of phosphoglyceraldehyde - इस क्रिया में फ्रुक्टोज 1, 6-डाइफास्फेट का अणु एल्डोलेज एंजाइम की उपस्थिति में 3C वाली दो ट्रायोज शर्कराओं, जैसे - 3 phosphoglyceraldehyde तथा डाइहड्रॉक्सी एसिटोन फास्फेट के एक एक अणु का निर्माण करता है।


                  

इन दोनों अणुओं में से केवल 3-phosphoglyceraldehyde (3 PGA) का आक्सीकरण होता है, जैसे जैसे यह ऑक्सीकृत होता है वैसे वैसे डिहोड्रॉक्सी एसिटोन फास्फेट उसका (3- phosphoglyceraldehyde) पुनर्जनन करता है।


यह अंतरा रूपांतरण फॉस्फोट्रायोज आइसोमरेज एंजाइम की उपस्थिति में होता है। इस प्रकार आगे की क्रियाओं में केवल 3-फॉस्फोग्लीसरेल्डहाइड के अणु भाग लेते हैं।


3) पायरुविक अम्ल का निर्माण (Formation of pyruvic acid) - इस क्रिया में 3-phosphogycerwldehyde से पैरूविक अम्ल का निर्माण निम्न लिखित क्रियाओं के द्वारा होता है -

5) Formation of 1,3-diphosphoglyceraldehyde : DiPGAL - इस क्रिया में 3- phosphoglyceraldehyde (3 PGAL) Phosphoric acid (H3PO4) से मिलकर 1,3 - diphosphoglyceraldehyde (PiPGAL) में परिवर्तित हो जाता है।

3- phosphoglyceraldehyde + H3PO4 ➡️ 1,3 - diphosphoglyceraldehyde

              ( 2 mols)                         (2 mols)                        (2 mols)


6) Formation of 1,3 - diphosphoglyceric acid : DiPGA - 1,3 - Diphosphoglyceraldehyde phosphoglyceraldehyde dihydrogenage एंजाइम की उपस्थिति में आक्सीकृत होकर 3 - diphosphoglyceric acid (DiPGA) का निर्माण करता है। इस क्रिया में NAD (Nicotinamide Adenine Dinucleotide) हाइड्रोजन ग्राही का कार्य करता है।

1,3 - diphosphoglyceraldehyde acid + 2ADP Phosphoglyceraldehyde_➡️  1,3 -

   (2 mol)                                                                   dehydrogenase                     (2 mols)


 diphosphoglyceric acid + 2NADH2


7)  3 - फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल का निर्माण (Formation of 3 - phosphoglyceric acid) - इस क्रिया में 1,3 - डाईफॉस्फोग्लाइसरिक अम्ल के प्रत्येक अणु से एक फॉस्फेट का समूह निकलता है जो ADP से संयोजन होकर एटीपी का निर्माण करता है। 1,3 - diphosphoglyceric acid से एक फॉस्फेट समूह निकल जाने से यह 3 - phosphoglyceric acid में परिवर्तित हो जाता है। यह क्रिया phosphoglyceric kinase engyme द्वारा उत्प्रेरित होती है।

1,3 - diphosphoglyceric acid + 2ADP Phosphoglyceryl➡️ 3 - phosphoglyceric acid + 2ATP

           (2 mols)                                          Kinase                              (2 mols)


8) Formation of 2 - phosphoglyceric acid) - 3 - phosphoglyceric acid अपने समावयवी 2 - phosphoglyceric acid में परिवर्तित हो जाता है।

3 - phosphoglyceric acid__Phosphoglyceromutase➡️ 2 - phosphoglyceric acid

         (2 mols)                                                                                       (2 mols)


9) Formation of phospho - enol pyruvic acid, PEP) - इस क्रिया में 2 - phosphoglyceric acid से अणु जल के निकलते हैं जिसके फलस्वरूप phospho - enol pyruvic acid (PEP) का निर्माण होता है। यह क्रिया इनोलेज एंजाइम की उपस्थिति में होता है।

2 - phosphoglyceric acid __Enolase➡️ Phospho - enol pyruvic acid + 2H2O

             (2 mols)                                                      (2 mols)


10) पायरूविक अम्ल का निर्माण (Formation of pyruvic acid, PA) - ग्लाइकोलिसिस की अंतिम क्रिया pyruvic kinase engyme की उपस्थिति में फॉस्फो इनोल pyruvic अम्ल से फॉस्फेट समूह पृथक हो जाता है जिससे pyruvic अम्ल (PA) का निर्माण होता है।


Phospho - enol pyruvic acid + 2ADP___Pyruvic kinase➡️ Pyruvic acid + 2ATP

         (2 mols)                                                                                                 (2 mols)


ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) की संपूर्ण क्रिया को निम्न लिखित समीकरण द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है

C⁶H¹²O⁶ + 4ADP + 2H³PO⁴ + 2NAD + 2ATP ➡️CH³CO.COOH + 4ATP + 2NADH² + 2ADP

   Glucose                                                                   Pyruvic acid

     (1 mol)                                                                      (2 mols)





ग्लाइकोलाइसिस ki विशेषताएं (Special features of Glycolysis)

१) इस क्रिया में ग्लूकोज के एक अणु से Pyruvic अम्ल के दो अणु बनते हैं।

२) इस क्रिया में एटीपी के चार अणु बनते हैं लेकिन एटीपी के दो अणु फॉस्फोरिलिकरण की अभिक्रियाओं (अभिक्रिया संख्या 1 व 3) में खर्च हो जाते हैं। अतः शुद्ध लाभ ( Net gain) केवल दो एटीपी अणुओं का होता है।

३) इस क्रिया में NADH² के दो अणु बनते हैं (अभिक्रिया संख्या 6) ऑक्सीजन की उपस्थिति में प्रत्येक NADH² अणु से एटीपी के तीन अणु बनते हैं। अतः ऑक्सीजन उपलब्ध होने पर अर्थात् ऑक्सी श्वसन में 6एटीपी अणुओं का अतिरिक्त लाभ होता है। अतः ऑक्सीजन की उपस्थिति में ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) की क्रिया में एटीपी के अणु दो से बढ़कर कुल आठ हो जाते हैं।

                

       2 ATP                      +                    6 ATP                                              ➡️   8 ATP         (ग्लाइकोलिसिस का शुद्ध लाभ)          (O² की उपस्थिति में NADH² से अतिरिक्त लाभ)       (कुल शुद्ध लाभ)

४) इस क्रिया से संचित ऊर्जा ATP एवं NADH² अणुओ में संचित हो जाती है।

५) ग्लाइकोलाइसिस (Glycolysis) ki क्रिया में ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होती है तथा कार्बन डाइऑक्साइड भी उत्पन्न नहीं होता है।

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